Exam
के बाद सारे Students बस के लिए इंतज़ार कर रहे थे, दो दो Bus एक साथ आ गइ,दोनो बस मे काफि भीड़ थी, कुछ Students पह्लेवाले बस मे किसी तरह चढ़ गये और कुछ तोह दरवाजे पे लट्कने लगे, लिपि पहली बस मे नही चढ़ पाइ, उस्के दोस्त चिल्ला रहे थे
...लिपि दुसरी बस मे जल्दी से चढ़ जा.
दोनो बस एक साथ Bus Stoppage पे पहुंचेथे, पीछलेवाले बस का Conductor सामनेवाले Driver के उपर चिल्ला रहा था
...खुद तो लेट आये अब हमारा Passengers भी ले रहा है, चल जल्दी कर शाले, निकल यहां से...
लिपि भागती हुइ किसि तरह दुसरे बस मे चढ़ गइ और अन्दर घुस गइ .
कहां सोचा था सब दोस्तो के साथ एक ही बस मे घर जायेंगे मस्ती करते हुए, चलो अब जल्दी घर पोहुंच जाए तोह अच्छा .बहुत भीड़ थी बस मे, लिपि सोच ही रही थि शायद एक सिट मिल जाये, तभि उस्के सामने बैठी Aunty ने कहा
...बेटी मै साममेवाले Stoppage पे उतर जाउंगी, तुम मेरे सीट पे बैठ जाना.
लिपि ने सोचा... कुछ तोह अच्छा हुआ, Stoppage पांच मिनिट के बाद आयेगा.
पांच मिनिट के बाद Stoppage आया और लिपि को सीट मिल गइ, लिपि ने अपने बांये तरफ देखा, एक लड़का खिड़की के पास बैठा था, बाहार का नज़ारा देखने मे मग्न .
थोड़ी देर बाद कुछ Passengers उतर गए और कुछ लफेंगे लड़क़े लिपि के करीब आ कर खड़ा हो गया और इस तरह बर्ताव करने लगा जैसे भीड़ मे खड़े होने से दिक्कत हो रही है और इस तरह वोह लड़के लिपि को परेशान करने लगा, तभी खिड़की के पास बैठा लड़के ने लिपि से कहा
...बहन , किया तुम मेरे सिट पे आ कर बैठोगी ? ये हवाये मुझसे सहा नही जा रहा, ठन्ड लग रही है और खिड़की बन्द कर दुंगा तो घुटन सी लगेगी,बस मे काफी भीड़ है ना .
लिपि राज़ी हो गइ और खिड़की के पास बैठ गइ और वोह लड़का लिपि के सीट मे.
लिपि के दिमाग मे खयाल आया...क्या इस लड़के से बात करु, इसने मुझे बहन कहा , और पीछले दस मिनिट से इस्के पास बैठी हूं , कोइ बदतमीज़ी तोह दुर कि बात मुझे घुर के देखा तक नही , चलो बात कर हि लेती हुं , अगर ये भी आखरी Stoppage पे उतरेगा तोह आछा ही होगा, ये लड़के परेशान नही कर पायेगा, चलो पुछ ही लेती हुं .
वोह लड़का आंखे बन्द कर के बैठा था, लिपि ने उसे हल्का सा धक्का दे के पुछा
...आप कहां तक जायेंगे?
लड़के ने जवाब दिया
...आसानसोल
लिपि का मन खुशी से डगमगा उठा और कहा
...मै भी
लड़के ने मुस्कुराया और पुछा
...Student
हो? Exam कैसी रही ?
...ठिक ठाक
लड़के ने फीर पुछा
...Stream
किया है?
...Literature
...Year?
...1st
और फिर बातों बातों में दोनो के ही जान पहचान के कुछ लोग मिल गए, उन्ही लोगो के बारे मे बात चलती रही . उनमें से कुछ common Teachers भी थे जिस्के पास दोनो ने ही Tuition लिया है स्कुल के ज़माने मे .
बातें चल रही थी, तभी लिपि ने पुछा
...आसानसोल मे आप कहा रह्ते है?
...डि. एम Bunglow के दुसरी तरफ जो बड़ी सी गली है उसी के आखरी हिस्से मे हमारा घर है ,और तुम ?
...मनोज किनेमा हल को बांए तरफ रख के अगर चलते जायेंगे तोह सिनेमा हल के बाद दो चार दुकाने है फीर हमारा घर , वैसे मैने आप का नाम नही पुछा
...मेरा नाम राहुल सिन्हा है, और तुम्हारा ?
...मे लिपिका चटर्जी .
बातो बातो मे वक़्त कैसे निकल गया दोनो को पता ही नही चला , बस आसानसोल पहुंचने हि वाली थि के बस क Tyre Puncture हो गया,Repair होने मे थोड़ा वक़्त लगेगा तोह लगभग सारे Passengers नीचे उतर गए, लिपि और राहुल भी नीचे आ गया, दोनो खुले मे ठन्डी ठन्डी हवा का मज़ा ले रहे थे तभी राहुल ने पुछा
...मुझे लगता है तुम्हे कुछ खाना चाहिए, भुक लगी हो गी शायद, मुझे तो लगी है ज़ोर से, दोपहेर मे Lunch किया था और अब तोह चार घंटे बीत गए
लिपि ने कहा
...लेकिन यहाँ खाना कैसे मिलेगा ?
राहुल दुर एक चाए कि दुकान कि तरफ इशारा करके कहा
...वो रही , मै वहा से गरमा गरम समोसे और चाए ले आता हुं .
लिपि ने कहा
...मेरे लिए बस एक हि समोसा ले आना .
तिन चार मिनिट बाद रहुल चाए और समोसे ले कर वापस आ गया और दोनो मजे से खाने लगे .
राहुल कि बर्ताव लिपि को बहुत ही अच्छा लग रहा था, वोह सोच रही थी के राहुल को इस बारे मे कहे या ना कहे और आखिरकार उसने कह डाली
...किया मै आपको "दादा" बुला सकती हुं ?
राहुल ने मुस्कुराके जवाब दिया
...हां बिलकुल
...असल मे मेरा अपना कोइ भाई नही है, मेरी एक छोठी बहन है
...हा जानता हुं
लिपि थोड़ी हैरानी से पुछा
...तुम जानते हो? लेकिन मैने तोह नही बताया
राहुल ह्स कर जवाब दिया
...तुमहीने तो बताया है थोड़ी देर पहले, याद नही? जब हम बाते कर रहे थे .
लिपि ने थोड़ा सोचा और कहा
...हां शायद बताया हो गा .
कुछ देर बाद बस ठिक हो गइ और सभी Passengers को लेकर Asansol कि और चला .लिपि ये याद करने कि कौशिस कर रही थी के राहुल को उसने कब अपनी बहन के बारे मे बताया...
दस मिनिट बाद बस आसानसोल पहुंच गया, लिपि और राहुल दोनो बस से उतरे लिपि के दोस्त उसके लिए Bus Stand पे इंतज़ार कर रहे थे, लिपि राहुल को गुड बाइ कहे ने के लिए गया...
शाम को एक Party का इंतज़ाम किया है सबने मिल कर, Exam के बाद थोड़ी मौज मस्ती तो बनती है ,जगह और वक़्त पहले से ही ठिक था, बस सबने मिलकर Confirm कर लिया और Auto पकर के लिपि घर आ गइ .
Fresh
हो के कुछ खाना खाने के बाद लिपि चाए का कप ले कर बैठी ही थी के उस्की मा अन्दर आइ, चहरे पे मुस्कुराह्ट थी .
लिपि Curious हो के पुछा
...तुम हंस क्युं रही हो? जरुर कोइ बात है?
लिपि के मा ने जबाब् दिया
...टिना आइ है
लिपि को यकीन नही आया, उसने कहा
...मज़ाक कर रही हो ना ? दिदि आयेगी और आने से पहले मुझे इत्तेला नही करेगी, हो हि नही सकता
...सुन मेरे पास बहुत काम पढ़ा है, तेरे साथ मज़ाक करने का वक़्त नही है, पहले बता देती तोह तु खाना खाये बिना बस गप्पे मारती रहती ,यकीन नही आता तो उपर जा के देखले .
...दिदि सच मे आइ है ?
लिपि खुशी के मारे बिस्तर से एक लम्बी छलांग लगाइ और उपर के तरफ दौरा .
टिना कि चचेरी बहन है लिपि, उमर मे टिना काफी बढ़ी है लिपि से . अपनी छोटी बहन रुमी से भी ज़्यादा लगाव हे लिपि को टिना के साथ ....ऐसा सब कहते है .
दुसरे मंज़िल पे पहुंचते ही एक Idea आ गया, लिपि दबे पाउ टिना के घर कि और बढ़ने लगा, दरवाज़ा खुला हुआ था लेकिन अन्दर कोइ दिखि नही, घर से होते हुए लिपि धीरे धीरे Balcony कि और गया तभी टिना कि लाल कुर्ती नज़र आइ, लिपि आहिस्ता आहिस्ता टिना के पीछे खड़ी हो गइ और पीछे खड़े हो के टिना कि आंखो पे अपना हाथ राख कर उसे कसकर पकड़ लिया , टिना को ज़ोर से धक्का लगा और उस्की हाथ से चाए का पीयाला नीचे बागीचे मे गीर गइ, टिना मुस्कुराते हुए जवाब दिया
...येह तो मेरी पियारी सी लिपि के सिबा कोइ हो ही नही सकती
लिपि ने अपना हाथ हठा लिया और टिना उस्के तरफ मुड़ के उस्के दोनो गालो को दबा दिया और पुछा
...कैसी है?
लिपि थोड़ा गुस्सा दिखा कर पुछा
...तुम आनेवाले हो ये मुझे बताया क्युं नही, जाओ तुम्से बात नही करती...
टिना हंस कर जवाब दिया
...पगली मै आनेवाली हुं ये अगर पहले बता दिया होता तो Exam मे तेरा मन नही लगता, तु ये सोचती रहती के कैसे जल्दी घर जाउ .
...अछा ठिक है वोह सब छोड़ो और बताओ...जिजु नही आए
...नही वो तोड़ा Busy है, अगले शनिबार को आयेंगे
...और हमारी छोटी से बन्दरिया इन्दु, वोह कहा है ?
...वोह नीचे नानि के साथ बागीचे मे.
टिना कि एक लौति बेटी है इन्दु, अभी पांच साल की है.
लिपि खुश हो गइ ये सुनके और कहा
...मतलब तुम अभी बिल्कुल फ्री हो, तो चलो मेरा सर दबादो, Exam मे इतना लिखना पड़ा अभी सर दुख रहा है .
लिपि कि इस बात से टिना ज़ोर से हंस उठी और फीर अपने हातो को दोनो तरफ फैला के कहा
...इतना सारा लिखना पड़ा...
फीर लिपि के गालो को दबा दिया और कहा
...पढ़ाई तो करती नही, दिन भर सिर्फ टीभी देखती रहती है, चाची और मै समझा समझा कर थक गइ
लिपि अपने मुह को फुला कर टिना कि और देख रही थी
...ठिक है अब और मुह फुलाने की ज़रुरत नही, तेरी येह सब बहाने बचपन से देखती आ रही हुं .
फीर टिना जाके बिस्तर मे बैठ गइ और लिपि टिना के गौद मे सर रख के लेट गइ और फीर सुरु हुआ इधर उधर कि बाते .
थोड़ी देर बाद बातो बातो मे लिपि ने राहुल क ज़िक्र किया
...जानते हो दिदि आज एक अजीब लड़के के साथ मुलकात हुआ
टिना ने पुछा
...अजीब सी मतलब????
फीर लिपि ने बस पकड़ने के बाद से लेकर बास से उतरने तक का सारा किस्सा बताया , राहुल का नाम भी बताया ,सब सुनने के बाद टिना ने पुछा
...मुझे तो कुछ भी अजीब नही लगा, हा ये ज़रुर कह सकती है के आजकल लड़को पे यकीन करना बहुत मुशकिल हो गया है और ये लड़का सच मे अछा है...तो अजीब लगेगा ही .
लिपि ने जवाब दिया
...नही असल बात तो मैने तुम्हे अभी तक बताया ही नही
...नही असल बात तो मैने तुम्हे अभी तक बताया ही नही
...कौन सी बात ?
लिपि उठ कर बैठ गइ और बताने लगा
...जानते हो, बस से उतरने के बाद जब मै उसे Good Bye कहने गया तोह उसने कुछ
ऐसा
कहा
के
मै
हैरान
और
परेशान
हो
गइ
...किया कहा उसने?
..."वैसे मुझे तुम्हारी मदत नही करना चाहिए था फीर भी कर दिया इंसानियात के खातीर",ये बात सुन कर तो मै हैरान रह गइ और पुछा ..."क्युन नही करना चाहीए था तुमहे मेरी मदत" तब उसने मुस्कुराके जवाब दिया "क्युं कि कुछ हद तक तुम मेरे Competetor हो, हाला के हम आमने सामने नही हुए, अगर होते तोह बराबरी का टक्कर होता"
ये कहकर मुस्कुराते हुए चला गया, जब तक मै उस्की बातो को समझ कर कुछ पुछती तब तक वो वहां से जा चुका था और मेरे दोस्त भी मुझे बुला रहे थे...
फीर लिपि चिल्ला उठी
...आरे मै तोह भुल ही गइ थी, दोस्तो के साथ आज party का प्लान बनाया था, अभी सब को मना करके आती हुं, जब तक तुम हो, No party, no friends.
ये कहकर लिपि जा ही रही थी के टिना ने कहा
...तु सब्को मना कर दे तब तक मै थोड़ा नहा लेती हुं फीर नीचे आ जाउंगी
लिपि के जाते ही टिना बिस्तर से उतरके दरवाज़ा बन्ध कर दिया और धीरे धीरे Balcony मे आ के खड़ी हो गइ, मन उदास हो गया था...
कितनी सारी यादे, कितनी सारी बाते, एक अर्सा बीत गए लेकिन सब कुछ आज भी उतना ही ताज़ा है जैसे कल कि बात हो,जब भी टिना माइके आती है तभी यादों का सैलाब सा उठता है,सच मे पागल था राहुल, टिना कि दोस्त भी कहा करते थे..."शायद हि कोइ तुझ्से इतना प्यार करेगा, काश हमारे Boyfriends भी राहुल कि तरह हमारे पीछे पागल होते", उन दिनो टिना बस यही सोचती थी...कोइ किसि से इतना प्यार कैसे कर सकता है? लेकिन मन हि मन बहुत खुश होती थी, इसि लिए जब भी राहुल मिलने कि अर्ज़ी लगाता था टिना घर से निकलने का कोइ ना कोइ बहाना बना हि लेती थी चाहे कितनी भि मुश्किल क्युं ना हो, एक दिन रात को Phone पे बात करते हुए राहुल ने कहा था ..."काल से दो दिन तक मेरे दोस्त के घर पे कोइ नही होगा, मै देख भाल करने के लिए वही रहुंगा ,तुम आओगी" टिना थोड़ी हिचकिचा के कहा था "हा आउंगी" , प्यार कि सुरुआती दिनो की बात है ये फीर भी राहुल पे शक थोड़ा सा भी नही हुआ था, यहां तक की टिना की दोस्तो को भी राहुल के नियत पर थोड़ा सा भी शक नही था, अगले दिन सुबह टिना 7:30 बजे राहुल के दोस्त के घर पहुंच गयी थी
राहुल ने टिना को बैठने के लिए कहा, टिना सोफे के एक तरफ बैठ गइ और राहुल दुसरी तरफ, फीर दोनो लगभग दो घंटे तक बात करते रहे. करीब दस बजे टिना घर वपास आइ , बहुत ही खुश थी, नाचने का दिल कर रहा था, मन बहुत् रोमांटिक हो गया था, फीर 11:30 मिनिट पर टिना नहाने चली गइ, राहुल ने फीर दोपहर को मिलने के लिए Request किया था, टिना घर पे आते ही बता दिया था के एक दोस्त के घर पढ़ने के लिए दोपहर को जायेगी, नहाते वक़्त टिना को वो बात याद आ गइ जो राहुल ने पीछली रात फोन पे कहा था, राहुल तो उस बात का ज़िक्र तक नही किया, टिना ने ठिक किया दोपहर को वो बात मै ही छेड़ुंगी .
लगभग ढाइ बजे टिना पहुंच गइ, फीर वोही सोफे के दो तरफ दोनो बैठे थे, थोड़ी देर बाद टिना ने पुछा
...काल फोन पे तुमने जो बात कही थी उसका ज़िक्र तक नही किया
राहुल ने पुछा
...कौन सी बात ?
...वोही, मेरे गौद पे लेटने की बात
ये सुनते ही डर के मारे राहुल का मुह लाल पिला हो गया, टिना ने मुस्कुराके कहा
...जब भी तुम मेरे साथ रहते हो इतना डर क्युं रहता है तुम्हारे चेहरे पे?
राहुल की चेहरे पे एक घबराहट थी , उसने थोड़ा पानी पिया और धीरे धीरे कहा
...पता नही...असल मे मै तुम्हे खोना नही चाहता
येही बात राहुल की टिना को बहुत अच्चा लगता है...एक सरलता है, एक सादगी है और सबसी बड़ी बात एक बच्चो जैसी मासुमियत है, जब राहुल टिना के पास होता है तो उसे देख के कोइ ये यकीन नही करेगा के लड़का कोलेज मे( 1st year) पढ़ता है और काफी गुस्सेवला और ताक़तवर है . टिना को जब भी राहुल देखता था तो टिना को लगता था जैसे कोइ बच्चा बड़ी हैरानी से उसे देख रहा है . फोन पे तोह इतनी सारे बाते किया करता था राहुल और बच्चो जैसी ज़िद भी लेकिन टिना के सामने बिल्कुल खामोश
उस दिन टिना ने जवाब दिया था
...जानती हु, तुम्हारे दिल मे यही डर रहता है के अगर मै तुम्हे गलत समझा तो, अगर मै तुमपे गुस्सा हो गइ तो, तुम्हारा साथ छोड़ दिया तो, तो तुम अच्छी तरह से सुनलो के मै तुम्हरा साथ कभी नही छोड़ुंगी , चाहे कुछ भी हो जाये तुम हमेशा मुझे अपने पास पाउगे
येह सुनने के बाद राहुल के चेहरे पे जो खुशी थी वोह आज भी याद है टिना को ...
फीर टिना ने पुछा था
...तुम जो मेरे गोद पे सर रख के लेट की बात कर रहे थे, उस्का किया हुआ?
राहुल डर के मारे कहने लगा
...नही सोना है मुझे, ऐसी बाते करना शायद ठीक नही, तुम गुस्सा मत होना, मुझे गलत मत समझना
राहुल के चेहरे पे जो डर था वो टिना बा-खुबी पढ़ सकती थी, उसने मुस्कुराके कहा था
...तुम सोगे तो अछा लगेगा वरना मै रुठ जाउंगी
डेर घंटे तक राहुल टिना के गोद पे सोया था और बहुत सारे बाते कर रहा था, डेर घंटे बाद टिना ने कहा
...अब मुझे घर जाना है
राहुल इतनी प्यार से Request किया था आधे घंटे और रहने के लिए के टिना मना नही कर पाइ. फीर आधे घंटे बाद टिना ने कहा
...अब मुझे जाना हि होगा
बार बार समझाने के बाद भी राहुल ज़िद करता रहा था ,तब टिना ने राहुल को कहा था
...तुम ना बिल्कुल लिपि और रुमि जैसा ज़िद कर रहे हो, वोह दोनो भी आपस मे लड़ती रहती है के कौन मेरे गौद पे सोयेगा और एक बार सो जाए तो मुझे छोड़ती हि नही .
राहुल ने पुछा था
...अगर मै और लिपि दोनो ज़िद करे तो तुम किसे गोद पे सोने दो गे?
टिना मुस्कुरा के जवाब दिया था
...Obviously
लिपि को, वोह अभी आट साल कि बच्ची है और तुम तो बड़े हो .
वक़्त के साथ साथ कितना कुछ बदल जाता है, बदलता नही तो कुछ लोगो कि अन्दाज़-ए-मोहब्बत , टिना भी वक़्त के साथ साथ अपने गम अपने आंसु को छुपाना सिख लिया है लेकिन फीर भी आज टिना कि आंखो से आंसु निकल आये, उस्के गालो से बहते हुए दो बुन्द आंसु नीचे जा के टुटी हुइ पियाले के उपर गीरा . जानती है टिना के राहुल आज भी उसे उतना ही चाहता है जितना पहले चाह्ता था...
शाम ढल रहा था, लोग अपने घरो मे बत्तिया जला रहे थे, किया सच मे... सुरज की रौशनी कि कमी को ये बत्तियो की रौशनी से पुरा किया जा सकता है ? क्या पता...
such a heart warming story. No matter how we grow, andaze mohobaat wahi reheta hai
ReplyDeleteGlad to know you liked it, thanks for sharing your views.
DeleteThis is such a heartwarming part of the story. But why did you translate it in Hindi today. It was coming out well in English too.
ReplyDeleteGlad to know you liked it, the truth is...having the background of Bengali medium i can connect very deeply with Hindi and Bengali than any other language, while making the plot ready i did not know how much the readers will like it but i personally liked it a lot, felt from the deep core of my heart, so expressed in Hindi.
DeleteNext posts will be in English.
Aaj hindi me aur ekdum fursat mein likha hai :) very nicely expressed !
ReplyDeleteThanks a lot.
DeleteHindi is tough to write, you have done a nice job with it.
ReplyDeleteThanks a lot.
DeleteThis is so heartwarming! Love is a beautiful felling in all its variations! Glad that you have done such a diligent write up in Devnagri. I can imagine how difficult it would be. Kudos and keep writing in Hindi. You have a knack of it.
ReplyDeleteVery glad to know you liked it Ma'am, yes, its really tough to type in Hindi, it takes much longer time than English typing. Will continue to share my shayris in Hinidi, thanks for the appreciation and the encouragement.
DeleteI rather loved the story more in Hindi , better connect I guess
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