मुर्दादिली हमारी
चर्च-ए-आम हो गई
पर वजह कभी किसीने नही पुछी
दिल का हाल पुछले कोई ऐसी उम्मीद कैसे रखे
जब हमारी मोहब्बतने ही कभी
हमारी हालत नही पुछी
मुर्दादिली हमारी
चर्च-ए-आम हो गई
पर वजह कभी किसीने नही पुछी
दिल का हाल पुछले कोई ऐसी उम्मीद कैसे रखे
जब हमारी मोहब्बतने ही कभी
हमारी हालत नही पुछी
मोहब्बत मासूम होती है
मुखोटे के पीछे असलियत हैवान छुपाते है
इश्क़ इबादत है
इरादा गलत तो बेवफाओ की होती है
दीवांगी मे दुयाए होती है
दहशत तो दरिंदे फैलाते है
प्यार गलत नही होता
जनाब
अक्सर गलत इंसान से हो जाती है II
बरसो से सहते आ रहे जो दर्द हम
तुझे बताने की कौशीस आगले जनम करेंगे
खुदगरजी छोड़ वफा सीखपाना
इस जनम तेरे बस की बात नही II