वैसे तो मै आज कुछ और लिखने बाला था
लेकिन कल शाम जो हुआ वोह किस्सा इतनी अलग थि जो मै आपको बताए बिना नही रह सकता, किस्सा बहुत हि ताज़्ज़ुब कि है और इस से कुछ सिख भि
मिलती है.
तो हुआ युं...
कल शाम मै अपना दोस्त राहुल के साथ
बाज़ार गया था, कुछ खरीदारी उसे भी करनी थी और
कुच मुझे भी. सब खरीदारी करने के बाद हम आखीर मे सब्जी मन्डी गए. राहुल को आलु खरीदना
था, दुकान मे हम दोनो को छोड़ के और तिन खरीदार भी थे, उनमे से दो आंकल थे जो सब्जी ले रहे थे और एक लड़की हमारे जैसा ही इंतेज़ार
कर रही थी, लड़की दिखने मे इतनी खुबसुरत थी कि मै बयां नही कर
सकता, वैसे तो राहुल उस लड़की को देखे गा ये उम्मीद करना
बेकार है, उसे बस एक ही लड़की के बारे मे interest है, एक हि लड़की कि बाते करता है और किसी भी लड़की मे
उसको कोइ दिलचस्पी नही है, पिछले दश साल से भी ज़्यादा वक़्त
से देख रहा हूँ उसे,ये
अलग बात है की वो लड़्की राहुल को कबका छोड़ के चली गई.
लेकीन काल जब राहुल दुकान मे खड़ी उस
लड़की को देख रहा था तो मै बहुत खुश हुआ,
चलो इस लड़के को कोइ और पसन्द तो आया, लेकिन इस बात को यकीन
करने मे मुशकिल हो रही थी, हमे कुछ देर तक वहां इंतज़ार करना
पढ़ा और मैने देखा के राहुल उसे बार बार देख रहा था, फिर जब
उस लड़की की बारी आइ और वोह सब्जी खरीद रही थी तब भी राहुल उसे ही देख रहा था, मेरा तो दिल नाचने लगा...अब जा के इसे कोइ और पसन्द आया, कितने साल लग गए...
दुकानदार जब उस लड़की को सब्जी दे रहा
था तो मै दुकानदार को बीच बीच मे कभी इस सब्जी की तो कभी उस सब्जी की भाव पुछ रहा
था ता की उस लड़की
को सब्जी देने मे वक़्त लगे और वो
दुकान में ज़्यादा देर तक रहे और राहुल उसे देर तक देख सके, मुझसे जो बन पड़ा मैने किया. उस
लड़्की को बहुत सारे सब्जी लेनी थी तो इसि बीच दुकानदार ने हमे आलु दे दिया, मैने सोचा अब तो ये लड़की चली जायेगी तो फिर किया होगा,पर भगबान का लाख लाख शुक्रिया के उस लड़्की कि खरीददारी हमारे साथ ही खतम
हुआ और हम दुकान से साथ साथ निकले.
लड़की रोड क्रोस करके दुसरी और जा ही
रही थी के राहुल ने कहां
...तु इधर ही रुक, मै अभी आया
और फीर वो लड़की के पिछे भागा, लगता है आज ही इज़हार कर देगा ये सोच के मैने आसमान कि
और देखा और उपरवाले का शुक्रीया अदा कहने लगा, लड़की रज़ामंदी दे
या ना दे कुछ फरक नही पढ़ता कमसेकम राहुल को कोइ और पसन्द तो आया, उस्का ध्यान तो भटका उस बेवफा से.
राहुल जब उस लड़की से बात कर रहा था
तोह मै उन दोनो को देख रहा था, लड़की का गुस्सावला चेहरा
देख के मुझे यकीन हो गया के राहुल ने इज़हार कर दिया. फिर वोह जब मेरे पास आया तो
बहुत ही उम्मीद लेके पूछा
...तु जब दुकान मे लड़की को बार बार
देख रहा था तभी मुझे पता चल गया था की वो तुझे अच्छी लगी, तो बता दिया उसे?
राहुल मेरी और देख के आपना सर दायें-बायें
हिला रहा था और उस्का चेहरा बहुत हि आपसेट था,
ऐसा लगा के जैसे वो मुझे धुतकार रहा है.
मै हैरानी से पूछा
...किया हुआ? लड़की ने ना कर दी?
उसने गुस्से से कहा
...सुन,
तु ना ये शायरी-वायरी लिखना छोड़ दे, हर चीज़ मे तुझे सिर्फ
मोहब्बत नज़र आती है, थोड़ी practical बन
जा.
मैने मन हि मन कहा...लो करलो बात,जो खुद एक impractical life lead कर रहा है वो मुझे practical बनने का सिख दे रहा है.
तो बात किया है...मैने थोड़े गुस्से से
पुछा
राहुल ने जवाब दिया
...मैने उस लड़की से कहा कि जब भी आप खांसो तोह मुंह को हाथ से ढाक लिया करो,
युं openly खांस ना बहुत ही unhygienic होती
है, देखा नही दुकान मे जब खड़ी थी और जब सब्जी ले रही थी तो
कैसे मुह को ढाके बिना ही खांस रही थी, एक बार नही कमसेकम दस
से बारा बार मैने नोटिस किया.
राहुल का जवाब सुन के मै रुक गया था, वोह मेरे आगे था, आलु का bag
मेरे हाथ मे था और जी कर रहा था के एक एक आलु फेक के उसे मारु.