
This i s a poem i shared earlier and today i have rewritten it investing sometime(which i did not do earlier)
For the earlier version click here...
तेरी खूबसूरती की कौन सी पहलू को बयां करें !!!!
तेरी की आँखों की रंगत को
नूर-ए-जहां बताएं
या
तेरे चेहरे की सादगी पे शायरी लिखे
या
तेरी गालो की रौनक
तेरे होठो की मासूमियत
तेरी पलकों की खुसबू
तेरे जुल्फों की घटा को
कविता बताएं !!!!
या फिर तेरे बच्चो जैसी खिलखिलाती हंसी
तेरे दबे होठों पे गुनगुनाती मुस्कान
तेरी सुरीली ख़ामोशी
तेरी खामोश लफ्ज़ से दिल को बयां करने की अंदाज़
तेरी धीर सी आँखों में इज़हार पे
ग़ज़ल लिखे II
तेरी की आँखों की रंगत को
नूर-ए-जहां बताएं
या
तेरे चेहरे की सादगी पे शायरी लिखे
या
तेरी गालो की रौनक
तेरे होठो की मासूमियत
तेरी पलकों की खुसबू
तेरे जुल्फों की घटा को
कविता बताएं !!!!
या फिर तेरे बच्चो जैसी खिलखिलाती हंसी
तेरे दबे होठों पे गुनगुनाती मुस्कान
तेरी सुरीली ख़ामोशी
तेरी खामोश लफ्ज़ से दिल को बयां करने की अंदाज़
तेरी धीर सी आँखों में इज़हार पे
ग़ज़ल लिखे II
तेरे कदमो कि आहट से
उम्मीदो कि लहेर सी उठती है दिल मे
तु साथ है तोह जन्नत का एह्सास है
तेरी मायुसी पे मौसम भी उदास
ख्वाफा हो तु तो कायनात भी रुठ जाती है
अदाओ पे तेरी हवाये भी मदहोश
बिख्ररके जुल्फे तेरि कालि घटा बनके
चान्द से भी रौशन कर जाये तेरे चहरे को
आदाये तेरी , अन्दाज़ तेरे
पल्के झुकाना तेरा , नज़रे उठाना तेरा
कभी शायर बना जाये कभी दीवाना बनाता है मुझ्को
तु ही बता किसि नज़र से देखु मै
परियोन कि रानि कहु या
अन्दाज़-ए-वफा पे तेरे मोहब्बत का खुदा कहु तुझको II
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