आजकल मै बच्चो के
बारे मै बहोत Choosy हो गया हूँ, वैसे तो बच्चे बहोत
सारे है मेरे जान पहेचान मै लेकिन मै उनमे से बहोत को Avoid करता हूँ और बाकि सारे बच्चो से बात करता हूँ, अब आप लोग कहेंगे...ये कैसि बात हुई !!! भला बच्चो
मे भेद-भाव कोइ करता है किया? लेकिन मै कहुंगा के
मै करता हूँ, आज कल बहुत करता हूँ और इस का जवाब “बच्चे” शब्द
मै हि छुपा हुआ है....मुझे बच्चे बहोत अच्छा लगता है लेकिन मशीने(Machines) नही.
जब हम किसि बच्चे से
मिलने जाते है तो हम किया करते है?.... उसका मनपसन्द का कोइ चीज़ ले जाते है, जैसे के कोई खिलोना या फिर Cadbury और बदले मे हमे किया चाहिये होता है?.... बदले मे हमे उनके चेहरे कि खुशी और मुस्कुराहट
देखना होता है, तोह मै उन सब बच्चो से बात नही करता जो मनपसन्द
तौफा पाने के बाद “Thank
You “ कहता है...मुझे नही सुनना “Thank You” किसि बच्चे के मुह से...मुझे तो उसका खिलता
हुया चेहरा देखना है, वो मासूम हंसी देखनी है, आंखो कि वोह रौनाक देखना है और इन सब मे जो
साद्गी है वो देखना है..” Thank
You” अगर सुनना हि है तो किसि लालची इंसान को
एक कम किमत कि चीज़ दे दुंगा...लालची है तो ज़ाहीर है के वो खुश नही होगा फिर भी Thank You” कहेगा.
हमे हर बच्चा अछा
क्युं लगता है...क्युं कि उनके चहेरे से टपकता साद्गी हमे अच्छा लगता है, उमर जितनी बढ़ती है, जितना तज़ुर्बा बढ़ता है हमारे अंदर कि वो साद्गी
नही रहती...वक़्त हमे “Complex’
बना देती है, हम छोटे छोटे बात
पर दिल खोल के नही हंस पाते, हम छोटी छोटी बात
पर खुश हो कर तालिया नही बजाते...कभी कभी तो झुट मुट का तालि बाजा देते है..इन सब
से अलग होते है बच्चे...जिनहे Tricks करना नही आता, जो भि करता है दिल से करता है… साफ दिल से...बस मुझे वो देखना है.
“Thank you” सुनना हो तो क्सिस Machine मे अपना कर्ड punch करदुंगा..ओफिस मे किसि के कपड़े कि झुठ मुट का तारिफ
करदुंगा...उसे पता होगा के वो इतना भी अछा नही लग रहा उन कपड़ो मे फिर भी “Thank you” बोलेगा.
अपने आरमानो के तले
बच्चो कि मासुमियात का गला घोट देते है कुछ मा-बाप, आरे वो
बच्चे है....बचपन को बचपन कि तरह गुज़ारने तो दो....”Thank You” तो 10-12 साल कि हो जाये तब भी सिखा सकते हो...
मुझे वो सब बच्चे
सही माइने मे बच्चे लगते जो “Thank You” तो बोलता नही उपर
से तौफा को लेकर ब्यस्त हो जाता है और चेहरा खुशी से जगमगा उठ्ता है और इसि कौशिश
मे लग जाता है कि तौफे को खोले कैसे और उसका सही इस्तेमाल कैसे करे...
और एक सच्ची घट्ना
कहता हूँ...तिन चार महिने पहेली कि बात है...मै सब्जी ख्ररिद रहा था एक दुकान मे
तभी एक आंटी आयी आप्ने बच्चे के साथ, बच्चे का उमर 2 साल
के आस पास का होगा, जैसे हि वो लोग दुकान मे आये वो बच्चा आलु को
देखके चिल्लाने लगा...”आलु आलु” तभी उसकी मा ने ज़ोर से दो
चार थप्पड़ लगाया और कहेने लगा...”आलु नही पोटाटो बोल”...तिन चार बार ऐसा कहेने
लगा और बेचारा बच्चा रोने लगा, मुझे तो आ गया गुस्सा, सोचा चलो इस आंटी को कुछ सबक सिखाते है और मैने आपनी Bag मे से एक आलु निकाला और दुकानदार को दिखाके कहा..”भाइसाब पहेले बताना
चाहिये था ना कि ये पोटाटो है आलु नही, खामोखा पोटाटो खरिद
लिया मैने, मुझे तो आलु चाहिये था”...फिर किया...ना दुकानदार
कुछ कहे पाया ना वो आन्टी.
मुझे तरस आता है उन सब बच्चो पर जो अलु को आलु नही
कहे सकता, जो कुत्ते को कुत्ता नही कहे सकता और उस्के साथ मजे से खेल नही सकता
क्युं कि उसे सचेत हो कर कुत्ते को “Dog” बुलाना पढ़ता
है....बचपान तो गया भांर मे...
चलो बहोत सारे गम्भीर बाते हो गयी अब थोड़ा
हल्के-फुल्के बातो से खतम करते है...वैसे मेरी एक पोस्ट से कुछ बदलनेवाला तोह है नही....
हल्क-फुल्के बाते कहे रहा हूँ पर इसे हल्के से ना
लेना...
तो जो मै कहेना चाह्ता हूँ वो ये है कि...अगर कोइ
ऐसि नौबत आयी के आप मे से किसि के भी बच्चे का साथ मेरी मुलाकात होने को है तो अपने
बच्चे से कहिये के मुझे “Thank you” ना बोले अगर बोला तो...Cadbury
नही दुंगा, खिलोना भि नही दुंगा, कूकिज़ भी नही दुंगा.....एक
छोटा चोकलेट भी नही दुंगा.....उपर से आपके बच्चे के पास कोइ Cadbury या खिलोना है तो वोह छिन कर ले लुंगा, फिर देखते
है....आपके बच्चे English मे कैसे रोता है.
Formal Activity से ज़्यादा मुझे SPONTANEOUS
Activity पसन्द है...क्युं कि इसमे सच्चाई होति है...
This post is neither meant to hurt anyone nor to prove anyone
wrong, these are my personal feelings and believes.
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