हुआ युं के...काल
सुबह अचानक मै प्रात भ्रमन पे गया था, तो चलते चलते
मै शहर
के बाहार चला गया और सामने मुझे एक बड़ी सी जगह
दिखि...एक बड़ा Ground था, दुर दुर तक कोइ नज़र
नहि आ रहा था, पेड़
भि नहि था आस
पास कोइ, तो मैने सोचा चलो एहि अच्छि जगह है Walk
के लिये. चुप चाप टहेलने लगा
मै, मौसम भि बड़ा सुनहेरा था, ठन्डी ठन्डी
हवाये चल रहि थि, उगता हुआ सुरज का नज़ारा साफ आसमान मे देखने
का
मज़ा हि कुछ और है.
जैसा पहेले कहा के आस पास कोइ पेड़ भि नहि था तोह
पक्शिओ कि भि
कोइ शोर नहि थी, मै अपने धुन मे
मस्त चल रहा था के तभि अचानक मेरे
सर पे कुछ गिरा और वो जब मिट्टि मे गिरि तो देखा
एक आपल है, मै
आस पास देखने लगा के किस ने सुबह सुबह आपल
फेंक के मारा,दुर
दुर
तक कोइ नहि दिखा, फिर दो कदम चला तोह फिर माथे पे
आपल गिरा,
“किसको मेरे हाथ मार खाने कि पड़ी है सुबह सुबह”...ऐसा
सोच के आस
पास देख रहा था पर कोइ नहि दिखा.......अब आप लोग सोच रहे होंगे....पी
कर
लिख रहा हूँ, आरे पुरा तोह सुन लिजिये,
अभि खतम कहा हुइ....तो
दुसरा आपल गिरने के बाद जब कोइ नहि दिखा तो मै सिधा चलने लगा
और फिर मेरे सर पे आपल कि बौछाड़ होने लगा, वहाँ से तुरन्त हट
कर
आसमान कि और देखा और हैरान रहे गया...जमीन से बिश फीट कि उंचायी
से आपल गिर रहा
थ, आसमान मे पैदा हो रहा था और गिर रहा
था....देखिए ये पोस्ट
जो है वोह मै पुरे होश-ओ-आवाज़मे लिख रहा हुँ...
आरे येह तोह एक कहानी है...ये हम सब बहुत अच्छि तरह
से जानते है कि
बिना पेड़ आपल नहि आ सकता...कोइ भि चीज़ हो उसका कोइ ना कोइ
Creator होता है....कुछ लोग सोचते है कि येह जो पुरा ब्रमहाण्ड है वो ऐसे
हि
अचानक एक दिन बन ग्या...बस ऐसे हि अचानक सब कुछ हो
गया....तोह उन्हे येह समझाने कि
कौशिश कर रहा था कि युं हि अचानक
कुछ भि नहि होता.
अब चलते है एक और दिशा...एक बहुत हि पुराना Paradox है....”क्या
भगवान ऐसा कोइ पथ्थर बना सक्ते है जिसे
वोह खुद उठा ना सके”....इसे
Paradox
कहेते है, जिस्का जवाब मिलना बहुत हि मुशकिल है...क्युं
कि.....अगर
भगवान ऐसा कोइ पथ्थर बना दे जो वोह खुद उठा ना सके तो
वो भगवान कैसे हुआ
?... क्युं कि भगवान तोह सर्बशक्तिमान है ,और
अगर भगवान ऐसा कोइ पथ्थर ना बना सके तो फिर वो भगवान कैसे हुआ?
...क्यु कि भगवान तो सब कुछ कर सकता है उन्के लिये नामुमकिन कुछ भि नहि.
तो कुलमिला कर बात ये हुअ कि....भगवान है कि नही? अगर है तो कैसा है?
आगे जारी रहेगा...
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