अर्ज़ किया है...
अर्ज़ किया है...
हर रोज़ शक होता है मुझे...
अपनि नीयत-ए-वफा पर
हर रोज़ गुज़रता हूँ उन्कि गलियों से
मेरे दिल कि तेज़ धड़कने बता देति है...
मुझे आज भि मुहब्बत है सिर्फ उन्हि से.
written over the IndiSpire Prompt no 148
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