कौन कहेता है कि वक़्त नहि रुक्ता !
कभि...
उन्हे जुल्फैं लहेराने को बोलो फिर देखो.
कौन कहेता है कि आसमान नहि झुंकता !
कभि...
उन्हे पल्के
झुकाने को बोलो फिर देखो.
कौन कहेता है कि येह हवाये कभि नहि रुकति !
कभि...
उन्हे चलते
चलते रुकने को बोलो फिर देखो.
कौन कहेता है कि बिन बादल बारिश नहि होति!
कभि...
उन्का दिल
दुखा कर तो देखो...
येह कायेनात भि रो पढ़ेगी.
कभि वो खुल के हंस दे तो...
बिन हवा के समन्दर मे लहेरे उठने लगेगी.
कौन कहेता है कि धरती पे परीया नहि रहेती !
कभि...
उन्से मिल
कर तो देखो.
सब कहेते है...
मुझे जीना नहि आता
कभि...
उन्हे मेरि
ज़िन्दगि मे ला कर तो देखो.
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