काश मै हवा का झोंका होता
तेरी आसमानी दुपट्टा को छु के
तेरी खुशबु से काएनात को मेहका देता I
काश मे सुरज का किरन होता
खिड़्कि के पास् खड़ी तु अपनी तस्वीर
खिचती और
तेरे होठो कि मासुमियत को मै मेहसुस
करता I
देखा तेरे धुल से लिपटी पैरो को तोह
आरज़ु दिल मे जगा
के काश मे मिट्टी मे पड़ा वोह धुल होता
तेरे पैरो से लिपट के कुछ वक़्त तेरे
आघोश मे होता I
काश काश मे तेरा
पसंदीदा झुमका
होता
तु खरीदती मुझे और मे हमेशा के लिए
तेरा हो जाता
दिल तो चाहता है तेरे पसंद का
दुपट्टा बन जाउं
तेरे सीने पे रख के सर सुबह से शाम
बीताउ
या बन जाउ तेरे सारी का आंचल
तु पकड़े मुझे हाथ से और चुपके से तेरे
हाथों को
चुम जाउं
या फिर बन जाउ हाथो के कंगन तेरे...
तु खनके मुझे और मे खुशी से झुम जाउं
जानता हु मुमकिन नही,
ये सब तोह दिल कि खयालात है
मुमकिन है के आसमान का तारा बन जाउं,
तु याद करे या ना करे
तुझे हर पल बस यु ही देखता रहु II
काश ये सब सपने पुरे ना हो
खुदा मुझपे मेहेरबा हो जाए
और हम एक दुसरे के बनके सातो जनम नही
लाखो जनम बिताए II
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