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थोड़ी सी जो उम्मीद बची थी दिल मे...
हक़ीक़त से टकराया तो टूट के बिखर गए
आज एक दूसरे के पास से
अजनबियों की तरह हम दोनों गुज़र गए,
ना खैरियात पूछती है वो
ना फिक्र की मेरी मोहब्बत की कभी
हाँ शायद कुछ एहसान करना चाहती थी वो
शायाद येही वजह थी उनकी इकरार की
पर कौन समझाये उस पगली को...
मोहब्बत को सिर्फ मोहब्बत से निभाया जाता है
एहसान से नही ।।
हक़ीक़त से टकराया तो टूट के बिखर गए
आज एक दूसरे के पास से
अजनबियों की तरह हम दोनों गुज़र गए,
ना खैरियात पूछती है वो
ना फिक्र की मेरी मोहब्बत की कभी
हाँ शायद कुछ एहसान करना चाहती थी वो
शायाद येही वजह थी उनकी इकरार की
पर कौन समझाये उस पगली को...
मोहब्बत को सिर्फ मोहब्बत से निभाया जाता है
एहसान से नही ।।
मिला तो कुछ भी नही वफा से मुझे
आज ज़िंदगी से बेवफाई की और एक कदम बढ़ा दिया मेंने
आज शराब के हवाले ज़िंदगी कर दी और...
खुद की नजरों मे खुद को गीरा दिया मेंने ।
दो बूंद आँसू ही गीरा दे वो मेरी मौत पे
मेरी कबर तक आए ये उम्मीद तो नही
वो जो कहती थी...
रिश्ता दिल का है
पर दिल से कभी निभाया ही नही ॥
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