Mohabbat

"Mohabbat bhi Zindagi ki tarah hoti hai
Har mod asaan nehi hota, har mod pe khushiya nehi milti.
Jab hum zindagi ka saath nehi chhodte toh
Mohabbat ka saath kyun chhode??
---Mohabbatein

2020-11-17

Illogical Viral Dialogue

 

वाह वाह ...किया बात , किया बात ...

 

 

बस Bollywoodwalo की कुछ कहने की देरी ...लोग तारीफ करते हुये थकते नही थी ...आज से सात आट महीने पहले तक यही सच्चाई थी । 

 

लेकिन कुछ Dialogues आज भी बहुत ही Popular बना हुआ है ।

 

ऐसी ही एक Dialogue है ...” मै खुद की फेवरिट हूँ “

 

यह Dialogue जब मैंने पहली बार सुना था इतनी हंसी आई थी जो हम बयान नही कर सकते, बाद मे लगभग दो साल तक जब भी यह सुनने मे आया तब भी मुझे बहुत  हंसी आती थी...इतनी बेफिजूल की Dialogue !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

 

चलिये आज देखते है यह  Dialogue बेफिजूल की क्यूँ है ...

 

ऐसे तो बहोत से लोगो ने इस Dialogue की बहुत ही तारीफ किए है ...लेकिन यह Dialogue मुझे बहुत ही फालतू लगा , यहाँ तक मुझे यह लगता है के लंबी दौर तक इसे मानते रहोगे तो गुमराह भी हो सकते है आप ।

 

 

Not applicable/ Impactful


यह Dialogue दो तरह की लोगो के ऊपर असर नही करेगा ...

एक, जो बेवरा है या  फीर शराबी भी कह सकते है  ।क्यूँ की इस तरह के लोग अपना रास्ता चुन लिया है , तो ऐसी लोगो के लिए इस बात की कोई मतलब नही निकलता ।

 

 

Truth

 

इस Dialogue मे इस लिए कोई दम नही क्यूँ की इस बात मे नया कुछ है ही नही । यह बात उन लोगो को सबसे ज़्यादा अच्छी लगी होगी जिनकी ज़िंदगी की कोई Philosophy नही है , कोई Insightful Views नही है ...क्यूँ की सच्चाई यही है के अगर आप थोड़ा सा भी गौर फर्माएंगे तो आप देख सकते है के आप के ज़िंदगी मे कोई ना  कोई एक Activity तो ज़रूर होगी जो यह बयान करता है के आप खुद की Favorite हो  

 

जैसे मुझे ही ले लीजिये , थोड़ी बहोत डोले-सोले बनाने की शौख है ...क्यूँ? क्यूँ की मुझे प्यारा है मेरी Figure, खुद से प्यार जो है 

 

औरों की बात करे तो ...किसि को Variety dresses खरीदने की शौख होती है , किसी को जूते , किसि को Wrist Watches , तो कोई Hair style का शौकीन है, यह सब किया दर्शाता है ?????...जी हाँ , लोगो को खुद से प्यार है इसि लिए यह सब करते है ...और जब कोई आईने के सामने खड़ा होता है तो किसी Favorite बांदा को ही देख रहा होती है या कोई फेब्रिट बंदी कोई देख रही होती है ....है की नही ??????

 

 

सच्चाई तो यह भी है ...के इस Dialogue की पूरी की पूरी Credit लोग करीना कपूर को देते है जब की Credit जाना चाहिए Story/script writer को , और करीना कपूर ने भी इस Dialogue की Popularity देख कर भी Credit Story/script writer को नही दिया ...खुद ही सारे Credit ले गई ।

 

 

How it can Mislead you


मै खुद की फेब्रिट हूँ ...सोचिए कोई Terrorist के जेहन मे यह बात बैठ गई तो !!!!!!...वो तो और भी लोगो को मारेगा , और दहशत फैलायेगा ।

कोई Corrupted अफसर भी इस बात को मानके और भी Corruption करेगा ।

लोगो के ज़िंदगी और जज़बातो के साथ खेलनेवाले भी खुद के फेब्रिट ही होते है जनाब ।

और यह सब लोग कभी खुद को नही बदलते...जो बिलकुल सही नही 

 

 

The Real life Examples        

 

चलिये ज़रा वक़्त का हिसाब लगाते है ...”सोच” तो आप खुद  ही समझ जाएँगे

1।पहले तो गाना/ डायलग का चुनाओ करना पढ़ता है

 

2। फिर उसके हिसाब से ...Dress, Make up, jewellery

 

3. फिर सजने संवरने (तैयार ) मे वक़्त लगता है

 

4। फिर Perform करना पढ़ता है ...जो एक यहा  दो Chance मे तो हो नही जाएगा ।

 

5। फिर Video की थोड़ी बहुत Editing और uploading 

 

9। फिर Dress और Make up उतारना और फ्रेश होना भी होता है 

 

 


 

क्या लगता है ...यह सब दो चार घंटे की बात है ??? Shopping जाना , पैसे खर्च करना यह सब भी सामील है ...यह सब बातें सिर्फ एक ही इंसान को लेकर होती है और वो है “खुद” ...जी हाँ Tiktok/Vigo और आजकाल Snack/Mx Takatak/Josh पे बेवजह साज-संवर के बदन हिलानेवाले और तरह तरह के फिजूल के Expression देनेवालों की बात कर रहे है हम ...जिनसे  सीखने के लिए कुछ भी नही होता .......और यह सब इंसान  खुद की फेब्रिट है ...”खुद” की तारीफ सुनने के लिए इतना वक़्त Invest कर देते है ...बकवास की कामो मे ...खुद से प्यार का नतीजा है ...खुद की फेब्रिट होने की नतीजा है ...और ऐसी लोग जिनकी सोच सिर्फ  “खुद” पर ही अटका हो ...क्या लगता है यह दूसरे के लिए कुछ अच्छा “दिल” से कर सकते है ????????????

 

 

Better Thought with Zero Misleading Option

 

खुद की फेब्रिट मत बनो...ना  खुद से प्यार करो ना ही खुद से नफरत करो ...बस एक ही काम करो ...

 

“खुद को पहचानो”

 

इसका Explanation अगर मैंने दे दिया तो सब मेरे तारीफ पे तारीफ करते जाएंगे पर हम उन लोगो मे से नही जो किसी और की तारीफ खुद पे लेले ...बस इतना ही कहना है ...अगर खुद को पहचानने की कौशीस मे लगे रहोगे तो आखिरकार एक बहोत बहतरीन इंसान बन जाओगे पर यह रास्ता इतनी आसान भी नही क्यूँ की “में खुद की फेब्रिट हूँ “ कहके तुम खुद की गल्तियो और खामियो को नज़रअंदाज कर देते हो पर जब “खुद को पहचानने की रास्ते मे चलोगे तो जो लड़ाई तुम्हें लड़ना है वो  तुम सोच भी नही सकते क्यूँ ज़िंदगी की सबसे मुश्किल लड़ाई होती है “खुद” से...मुझे तो लगता है जो लोग इस “खुद” से लड़ाई का सामना नही कर सकते , खुद की गल्तियो और खामियो को मान नही सकते वोही लोग “में खुद की फेब्रिट हूँ” को अपना  लेते है क्यूँ की यह बहुत आसान है ।

 

 

वैसे ...खुद को पहचानो” को अगर अङ्ग्रेज़ी मे कहाँ जाये तो वो है ...”Know Thyself” its an ancient Greek Aphorism used by Socrates and Plato.

 

 

 

 

 

 

2 comments:

  1. ज्योतिर्मय,बहुत विचारणीय आलेख।

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  2. It is quite thought provoking !

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