Mohabbat

"Mohabbat bhi Zindagi ki tarah hoti hai
Har mod asaan nehi hota, har mod pe khushiya nehi milti.
Jab hum zindagi ka saath nehi chhodte toh
Mohabbat ka saath kyun chhode??
---Mohabbatein

2017-05-06

Intolerance-Humor

Indian Bloggers
रात को अचानक मेरी नींद खुल गइ, मोबाइल का बटन दबाया और देखा वक़्त है 2:17 AM, मै उठ कर बिस्तर मे बैठा और फिर थोड़ा पानी पिया, बैठ कर थोड़ा सोचा और सोचने के बाद धिरे धिरे नज़दीक कि बूक सेल्फ मे रखा हुआ ब्लेड को दायें हाथ से उठाया और बायें हाथ से मेरे गले का सांस नली पकड़ा और फिर सोचने लगा....चला दूँ ब्लेड....



मै रुक गया और ब्लेड बूक सेल्फ मे वपास रख के बिस्तर छोड़ के उठा और खिड़की  के पास गया, मेरे रूम मे दो बड़े खिड़की  है, उनमे से एक पुरा खुला हुआ था और दुसरा आधा खुला हुआ, मैने दुसरी खिड़की  भी पुरा खोल दिया और खिड़की  से आसमान के और देखा, बहोत सारे तारे नज़र आये, आसमान बिल्कुल साफ था. फिर मे वपास बूक सेल्फ के पास आया और फिर ब्लेड उठा लिया, फिर सांस नली पक्ड़ा और फिर सोचा...चला दुँ ब्लेड गले के आर पार....



चलो एक बार और सोचते है इसि खयाल से ब्लेड को वपास रखा और दरवाज़ा खोल के बाथरूम मे गया, मुह धोया पानी से, थोड़ी बहोत पानी सर पे भी लिया और फिर बाथरूम से निकल के डाइनिंग मे आया, मै आकेले उपर माले मे रहेता हुँ इसि लिए कोइ उठ कर मेरा शान्ती भंग करेगा ऐसा कोइ डर नही था, मै डाइनिंग के खिड़की से आसमान को देख रहा था, बहुत दुर तक दिखाइ देता है, आसमान बिलकुल साफ था, थोड़ी देर वहां रुका और फिर अपने रूम मे वपास आया, दो दो पंखे फुल स्पीड मे घुम रहा था, थोड़ी कौशिस कि हवा का मज़ा लेने का और फिर ब्लेड उठा लिया और फिर गले के और बढ़ाया...चला दुँ किया?



अब आप लोग सोच रहे होंग़े के ऐसि किया आफत आ गइ मेरी ज़िंदगी मे के मै दुनिया छोड़ने का सोच रहा हुँ....


ऐसा किया हो गया जो मुझे जीने नही दे रहा...ऐसा किया है जो मुझे इतना परेशान कर रहा है...



हर साल गर्मीओ के मौसम मे मै अपने घरवालो से कहे देता हुँ के.....कभी सुबह उठ कर देखो के मेरी सांसे नही चल रही तो मुझे जला मत देना, जब बारिश होगी मै फिर से ज़िंदा हो जाउंगा.


इस गर्मी ने तो आधा मार हि दिया....ना रात को चैन से सोने देता है ना दिन मे सुकुन से जीने देता है.

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