एक महीने पहेले की बात है...
मै शाम को
टहेल ने निकला था, घर की कुछ ज़रुरी सामान
भी
खरिदना था तो लौटते लौटते रात हो गयी, जब मै आप्ने महोल्ले
मे पहुंचा तो सहेर की बिज्ली चली गयी, थोड़ी बहुत चांद्नी रात
थी इस लियी चलने मै कोई दिक्कत नही हो रही थी. तभी
अचानक मेरे एक दोस्त का फोन आ गया,बात करने के लिये मै
रुक गया, काम के सिलसिले मे बात
करना था उसे तोह मैने कहा
घर पहुंच के कल करुंगा. फोन को काट करके चलने ही वला था
तभी
एक आवाज़ सुनाई दी, ज़्यादा ज़ोर नही था आवाज़ मे ईसी
लिये समझ मे
नही आ रहा था की कंहा से आ रहा है, ऐसा लाग
रहा था के कोई किसि
से कुछ पुछ रहा है, मैने आप्ने मोबाइल का
टर्च ओन किया और आस
पास देखने लगा, चारो ओर सन्नाटा
छाया हुया था, मैने गौर सो सुना तोह ऐसा लागा की आवाज़ मेरी
नज़्दीक से आ रहा है, मैने रौशनी मेरे पयेर कि तरफ फेका तोह
एक साप को तड़्प ते हुये देखा.
वो साप ही मुझ्से पुछ रहा था...किया खाता है बे तु?
मैने पुछा--- क्युं किया हुया?
साप ने कहा...अबे शाले, मैने तुझे दो मिनिट पहेले काटा,
मेरी सारी ज़ेहेर तेरे अंदर डाल दिया फिर भी तु आराम से खड़ा है? तुझे काटते वक़्त तेरी दो चार बूंद खुन मेरे दांतो पे लाग गया और मै मरनेवाला
हूँ, मेरे मरने से पहेले इत्ना बाता दे के तु खाता किया है, ता की मै चैन की नींद मर सकू.
मैने कहा...देशी दारु.
फिर किया......उस्के मुह से सफेद फेना
निकला और बेचारा मर गया. मैने थोड़ी सी ज़मीन खोद के उसे दफ्ना दिया और घर चला आया.
घर पहुंचके आप्नी बांए पयेर मे गौर से
देखा तोह साप के दो दांतौ के निशान नज़र आया और उहान से सफेद सफेद देशी दारू बहे रहा
था, अब आप लोग हैरान ना होइए मैने तो आप लोगो को पहेले ही
बताया है मेरी
और मेरी
पोस्ट मे मेरी हालत.
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