मुलाकात तो होगी उनसे पर...
उनके जुल्फो से खेलने का जो आरज़ु था
वोह आरज़ु ही रह गया I
होंगे एक दुसरे के पास कभी कभी पर
उनके होठो कि खुसबु को मेह्सुस करने का जो तमन्ना
था
वोह तमन्ना ही रह गया II
देखेगी वो मेरी और ,बाते भी होगी उनसे शायाद कभी
कभी पर
उन निगहो मे...
उनकी आवाज़ मे मोहब्ब्त ना होगा I
चलेंगे हम चार कदम साथ पर
वोह मेरे हमसफर ना होगा I
दिल मे होगी वो मेरी पर
उनके दिल मे जगह किसि और का होगा II
होंगे करीब एक दुसरे के कभी कभी पर
आमानत शायद किसि और कि होगी I
तरसेगी ये आंखे मेरी उनहे देखने को और
वोह किसि और के बाहो मे होगी II
आज सच्चाइ से वो मेरी मुलाक़ात करा गइ
दिल की ख्वाहीशो को
दिल मे दबा के रखने का वजह दे गइ
आज बन्ध होठो से अपनी दिल की बात कह गइ
कितना नापसन्द हु मै उन्हे
खामोश रह के आज वो बयां कर गइ II
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